तबाही के मंजर के बीच से 65 हजार लोगों को सुरक्षित निकाल लाए मुख्यमंत्री…..
पैर में दर्द के बावजूद तीन रात तक प्रभावित क्षेत्रों से की बचाव कार्यों की निगरानी
कुल्लू जिले के मनाली मे तबाही के मंजर के बीच मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ‘नायक’ के रोल में नजर आए और 65 हजार लोगों को खुद मौत के मुंह से निकाल लाए। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वयं प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे बचाव कार्यों की तीन रातें जागकर निगरानी की और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए और समन्वित प्रयासों से लोगों की सकुशल वापसी सुनिश्चित की।
पैर में दर्द की परवाह किए बगैर मुख्यमंत्री ग्राउंड जीरो पर डटे रहे और मंत्रियों की टीम को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तैनात कर वहां फंसे लोगों की मदद करने के आवश्यक निर्देश दिए। लोसर पहुंचकर मुख्यमंत्री ने बचाव कार्यों की समीक्षा की और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी व मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी को चंद्रताल के लिए बचाव दल के साथ भेजा। सुबह पांच बजे तक मुख्यमंत्री भी खुद इसकी निगरानी करते रहे। राजस्व मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव के मार्गदर्शन में बचाव दल के सदस्य बर्फ की चार फीट तक बिछी चादर को हटा कर गाड़ियों को निकालने के लिए काम करते रहे।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन ने लोसर में आपात स्थिति के लिए सभी तैयारियां कर रखी थी। यहां दवाइयों और खाने-पीने की सामग्री प्रदान करने के लिए कैंप लगाया गया था। सुबह सात बजे पहला दल चंद्रताल से रवाना हुआ और विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए जगत सिंह नेगी और संजय अवस्थी के नेतृत्व में शाम साढ़े छह बजे चंद्रताल में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित काजा पहुंचा दिया गया।सकुशल वापिस पहुंचे कोलकाता के शुब्रतो दास और पुणे की तेजस ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू तथा प्रदेश सरकार का समय पर बड़े पैमाने पर बचाव कार्य आरम्भ करने के लिए धन्यवाद किया, जिससे लोगों की जानें बच पाईं हैं। उन्होंने कहा कि छह दिन से वह चंद्रताल में भारी बर्फबारी के बीच फंसे थे, लेकिन सरकार ने सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करवाई। उन्हें इस बात की खुशी है कि वह अब घर वापस जा रहे हैं।
ऐसे चला चन्द्रताल में सबसे कठिनतम बचाव अभियान, सराहनीय प्रयासों को मिला सम्मान
राजस्व मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव ने व्यक्तिगत तौर पर बचाव कार्यों की समीक्षा की और 12 जुलाई को डेढ़ बजे कंुजुम पास के समीप बचाव दल से मंत्रणा की। इस दौरान लोसर गांव से कुछ युवाओं की टीम बातल भेजी गई जिसने सूचना दी कि कुछ लोग वहां फंसे हैं। इस पर मुख्यमंत्री को सूचित किया गया और उनके निर्देश पर स्थानीय स्पिति के युवाओं की दूसरी टीम बनाकर गाड़ियों के साथ बातल के लिए रवाना किया गया। करीब रात को 12 बजे बातल से 52 लोगों को सुरक्षित लोसर पहुंचाया गया।वहीं चंद्रताल में फंसे लोगों को रेस्क्यू करने के लिए 26 किलोमीटर बर्फ से ढकी सड़क को रात लगभग डेढ़ बजे तक तीन जेसीबी की मदद से वाहन योग्य बनाया गया जिसमें निजी ऑपरेटर, बीआरओ और कंपनी के कार्यकर्त्ता शामिल थे। रात को 1.45 मुख्यमंत्री ने सैटेलाइट के माध्यम से राजस्व मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव से बचाव कार्यों की जानकारी ली। इसके बाद राजस्व मंत्री ने एसपी मयंक चौधरी, एडीसी राहुल जैन, एसडीएम हर्ष नेगी के साथ बैठक कर सुबह 5.30 बजे से बचाव अभियान शुरू करने का निर्णय लिया।टूरिस्ट की पहली गाड़ी लोसर पहुंचने पर महिला मंडल ने खत्तक पहनाकर उनका स्वागत किया। वहीं अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। पर्यटकों को कुंजम टॉप से काजा तक एचआरटीसी की तीन बसें, 10 टेंपो ट्रेवेलर सहित 17 स्थानीय लोगों की ब्लैरो कैंपर में सुरक्षित निकाला गया।
राजस्व मंत्री ने बचाव अभियान में सराहनीय कार्य के लिए तीनों जेसीबी ऑपरेटर, लोसर, पंगमो के युवा नामका, गायलसन, छैरिंग दोरजे, टाशी केशांग, नामग्याल, तेंजिन जांगपो, टाकपा इशे, पेंबा छेरिंग, तेंजिन कुनफुन, ग्राम पंचायत प्रधान लोसर रिंचिन डोल्मा को सम्मानित किया।
बचाव दल में तहसीलदार भूमिका जैन, नायब तहसीलदार प्रेम चंद, जनजातीय सलाहकार समिति सदस्य केशांग्ग रैपचिक, वीर भगत, लिदांग, लोसर किब्बर, चिचम, काजा स्पिति के अन्य गांवों के करीब 70 युवाओं के साथ बीआरओ, आईटीबीपी, पुलिस, न्यू एज इंडिया कंपनी और गर्ग एंड गर्ग कंपनी, लंबरदार लोसर शामिल रहे।
राजस्व मंत्री ने बचाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए लोसर महिला मंडल और युवक मंडल को एक लाख रुपये इनाम के तौर पर देने की घोषणा की है। इसके साथ ही इनके लिए आपदा बचाव प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की बात कही है।
मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने स्थानीय लोगों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि जेसीबी ऑपरेटर सुखदेव ने 21 से 18 घंटे लगातार जेसीबी चलाई जिससे रास्ता बहाल हो पाया। स्पीति प्रशासन ने भी बेहतरीन कार्य किया।