अदालत के आदेशों के खिलाफ तबादला करवाने पर फंसे भाजपा नेता, हाईकोर्ट ने किया तलब
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन निगम के अध्यक्ष की सिफारिशों पर हुए तबादला आदेशों पर रोक लगा दी है। न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने पर हाईकोर्ट ने भाजपा नेता सूरत नेगी को आगामी 27 सितंबर को अदालत के समक्ष तलब किया है। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाबतलब किया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने राजनीतिक द्वेष पर आधारित तबादला आदेशों पर रोक लगाई है।
याचिकाकर्ता ठाकुर नाथ सिंह ने सचिव शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक और वन निगम के अध्यक्ष भाजपा नेता सूरत नेगी को प्रतिवादी बनाया है। दलील दी है कि उसका तबादला सूरत नेगी की सिफारिशों के आधार पर किया गया है। याचिकाकर्ता राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पांगी में शारीरिक शिक्षक के पद पर तैनात हैं। उसकी पत्नी भी उसी स्कूल में अध्यापिका है। आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादी सूरत नेगी ने मार्च 2022 में दोनों के स्थानांतरण की सिफारिश की थी। इन आदेशों को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट ने राजनीतिक द्वेष के चलते दोनों के तबादला आदेश रद्द कर दिए थे। ठीक एक महीने बाद सूरत नेगी ने दोबारा से दोनों का तबादला करने के लिए सिफारिश की।हाईकार्ट ने दोबारा से दोनों के तबादला आदेशों को रद्द कर दिया था। अदालत ने सूरत नेगी की सिफारिश पर किए गए तबादले पर राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की थी।
अब तीन माह बाद याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी को किन्नौर से बाहर स्थानांतरित कर मंडी जिले के देवधार स्कूल में तैनात किए जाने की सिफारिश की गई। आरोप लगाया कि वन निगम के अध्यक्ष की सिफारिश पर मुख्यमंत्री ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को डीओ भेजा है। निदेशक ने बिना सोचे समझे सिफारिश के आधार पर याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी को स्थानांतरित करने के आदेश किए हैं।
दलील दी गई कि राजनीतिक द्वेष के चलते किए गए तबादले हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ हैं। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि उसके तबादला आदेशों को रद्द किया जाए।