हिमाचल में आम आदमी सरकार ने रच डाला इतिहास बागी विधायक अपने विवेक से लिए फैसला उनके परिवार कर रहे इंतजार
शिमला. … विमल शर्मा हिमाचल प्रदेश में आम आदमी सरकार ने इतिहास रच डाला सरकार के 1 साल के कार्यकाल के भीतर सभी गारंटीयों को अमलीजामा पहना दिया हिमाचल के जनमानस को पूर्ण विश्वास दिलाया कि आम परिवार का बेटा हर परिवार को अपना परिवार समझता है भले ही भाजपा प्रतिपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर जय राम कोई भी दलील दे अब शायद वह दलील जमीन पर नहीं ठहरेगी अब तो जनता यह भी कहने लगी है की पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर आम जन कल्याण की नीतियों को लेकर भी मुख्यमंत्री का कटाक्ष कर रहे हैं जो की ठीक नहीं है कम से कम उनकी अच्छी नीतियों को लेकर वह अपना रुख बदले यह भी माना जा रहा है कि ठाकुर सुखविंदर सिंह के प्रदेश के प्रति सकारात्मक रवैया और जनकल्याण नीतियों को लेकर आम आदमी में एक विश्वास पैदा हुआ है . मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने महिला कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जिससे प्रदेश की लाखों महिलाएं आर्थिक रुप से सशक्त होंगी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए प्रदेश की 18 से 60 साल की महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा की है। देश के अंदर हिमाचल पहला राज्य है जो महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमान सम्मान राशि देगा। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी के द्वारा दी गई चुनावी गारंटी को पूरा किया है। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से प्रदेश की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। इस गारंटी पर सरकार का करीब 800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सरकार ने अपने 12 महीने के कार्यकाल में प्रमुख गारंटियों को पूरा किया है। जनता यह जानती है कि मुख्यमंत्री सुक्खू ही प्रदेश हित में निर्णय ले सकते हैं। मुख्यमंत्री ने हर वर्ग का कल्याण के लिए बजट में प्रावधान किया है। पैरा वर्कर, मनरेगा मजदूर, पंचायती संस्थाओं के प्रतिनिधियों सभी वर्ग के मानदेय में बढ़ौतरी की है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में प्रदेश के कर्मचारियों को दी गई ओपीएस की गारंटी को पूरा किया। जिससे प्रदेश के 1.36 कर्मचारियों को लाभ मिल रहा है। देश में हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बना, जिसने ओपीएस को लागू किया। कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश की जनता से वायदा किया था कि सरकार स्कूलों में इंग्लिस मीडियम की पढ़ाई शुरु होगी। पहले यह वायदा था कि हर विधानसभा क्षेत्र में 3 स्कूलों में इंग्लिंस मीडियम से पढ़ाई होगी। मुख्यमंत्री ने उससे आगे बढ़कर सभी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था की। प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार ने राजीव गांधी स्टार्टअप योजना 680 करोड़ की शुरु की है। जिसमें पहले चरण में इलैक्ट्रिक वाहन खरीदने को शामिल किया गया है। युवाओं को सरकार की ओर से परमिट दिया जाएगा और सरकार की ओर से गाड़ी की कीमत की 50 फीसदी अनुदान सरकार देगी। सभी इलैक्ट्रिक गाड़ियों सरकारी विभागों में लगाई जाएगी। जिसमें युवाओं को स्थायी आय होगी। इसके दूसरे चरण में युवाओं को अपनी जमीन पर सोलर प्लांट लगाने की योजना शुरु की है। जिसमें सरकार 50 फीसदी से अधिक अनुदान दिया जा रहा है। इसमें युवाओं को स्थायी रुप से 2 बीघा जमीन पर करीब 20 हजार रुपए प्रतिमाह से अधिक आय होगी। मुख्यमंत्री ने अपने बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रावधान किए गए हैं। जिसमें किसानों, बागवानों और पशुपालकों को सहायता देने के प्रावधान किए गए हैं। सरकार ने दूध का समर्थन मूल्य घोषित किया। हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है जिसने दूध का समर्थन मूल्य घोषित किया है। सरकार ने 7 रुपए गाय के दूध में और 8 रुपए भैंस के दूध में बढ़ोतरी की गई है। जिससे पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी। सरकार ने जहर मुक्त खेती के लिए प्रयास किया और गेहूं और मक्की का समर्थन मूल्य घोषित किया। कोई भी षड्यंत्र मुख्यमंत्री को रोक नहीं सकता सभी ने देखा है कि पांच साल के चुनी गई सरकार को एक षड्यंत्र के तहत अस्थिर करने की कोशिश की गई। चुनावों में कांग्रेस को 40 सीटें मिलीं और भाजपा को 25 सीटें मिलीं थीं। लेकिन एक बहुमत की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया गया। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता साफ है कि प्रदेश की जनता के लिए काम करना है। मुख्यमंत्री लगातार लोगों के बीच जा रहे हैं और जनहित में निर्णय ले रहे हैं। ऐसा कोई भी षड्यंत्र मुख्यमंत्री को काम करने से नहीं रोक सकता। जनता ने कांग्रेस को पांच साल सरकार चलाने का बहुमत दिया है। सरकार पूरे पांच साल जनता से किए गए वायदों को पूरा करते हुए विकास कार्य करेगी। यह हैरान कर देने वाली बात है की एक तरफ तो बागी विधायकों ने सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा का साथ दिया इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तजुर्बे और सकारात्मक रवैया के चलते उनके वापसी को लेकर भी माफी करने को तैयार है बावजूद इसके इन विधायकों की तरफ से अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह सभी विधायक ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां वह अपने आप से यह प्रश्न पूछने लगे हैं कि अब आगे क्या होगा उधर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने बयान पर कहा कि उनके परिवार वाले उनकी देखभाल के लेकर चिंतित है और ऐसी स्थिति में जब परिवार का कोई सदस्य इतने दिनों से बाहर हो उसका चिंतित होना स्वाभाविक है हम नहीं चाहते कि हमारे घर की बहू बेटियां अपने अभिभावकों के लिए चिंतित हो इसलिए इन बाकी विधायकों को जल्द अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और अपने परिवार के बीच आना चाहिए जहां तक राजनीति की बात है तो परिवार से बढ़कर कोई राजनीति नहीं होती अगर आपका परिवार आपके साथ है और आपकी जनता आपके साथ है वही सर्वोपरि होता है राजनीति ऐसा नहीं रहती कि आप अपने परिवार और अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के खिलाफ दिए गए जनमत का गलत इस्तेमाल करें बीते दिनों मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा था अगर कोई गलती करता है तो उसकी माफी की गुंजाइश भी होती है अगर कोई जानबूझकर इस तरह का कृत्य करता है उसे ना तो परिवार माफ करता है और ना ही जानता जो भी है मौजूदा समय में बागी विधायकों को लेकर उनके परिवार चिंतित है उन्हें अपने परिवार के प्रति और अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के प्रति उनकी भावनाओं का सम्मान रखना चाहिए …………………. .बॉक्स हिमाचल प्रदेश की जनता और ठाकुर सुखविंदर सिंह सरकार मानवीय आधार पर बागी विधायकों को लेकर चिंतित है मुख्यमंत्री व्यक्तिगत तौर पर चाहते हैं कि यह बागी विधायक अपने परिवार और अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के प्रति सहानुभूति व्यक्त करें और इसके साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करें कि अगर आपने गलत किया है उसको मनाना और उसके प्रति पश्चाताप करना भी अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है हाल ही में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुकून न सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि अगर कोई गलती हो गई है तो उसे माफ़ भी किया जाता है इंसान गलतियों का पुतला होता है ऐसी स्थिति में अगर कोई इतनी बड़ी बात करता है तो उसे सहर्ष स्वीकार भी किया जा सकता है बहरहाल जो भी है इस वक्त सूचना के मुताबिक बाकी विधायक अब सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि आखिर अब होगा क्या क्या भाजपा उनके इस एपिसोड के अंत तक ले जाएगी या फिर वह अकेले ही रह जाएंगे अगर इन सदस्यों की सदस्यता बाहर नहीं होती तो यह शायद भाजपा के लिए भी सर दर्द बन सकते हैं अगर यह बीजेपी का दामन थमते हैं तो आने वाले समय में शायद उनके विधान क्षेत्र की जनता उनका समर्थन करें या ना करें उसे बारे में तो कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन इतना तय है कि इन बाकी विधायकों ने जो कदम उठाया है उसका लगभग फैसला जनता ही तय करेगी कुल मिलाकर यह माना जा रहा है कि अगर कोई राजनीतिक संकट पैदा होता है और चुनाव होते हैं तो भाजपा चाहेगी कि यह चुनाव लोकसभा के साथ हो लेकिन कांग्रेस या विधानसभा चुनाव लोकसभा के बाद ही चाहेगी यह दोनों दलों की अग्नि परीक्षा से काम नहीं है राजनीतिक परिस्थितियों बदलती रहती है लेकिन यह समय ही तय करेगा