हिमाचल का जवान मेघालय में हुआ शहीद, बार्डर पर था तैनात………….
कांगड़ा। हिमाचल का जवान मेघायल में शहीद हो गया है। जवान पर हाथियों के झुंड ने हमला कर उसे घायल कर दिया था। जिससे जवान की मौत हो गई। यह जवान जिला कांगड़ा का रहने वाला था। शहीद जवान की पहचान विजय कुमार उम्र 41 वर्ष पुत्र सागर सिंह के रूप में हुई है। जवान हिमाचल के कांगड़ा जिला के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत पड़ते परगोड गांव का रहने वाला था। जवान की ड्यूटी मेघालय में भारत और बांग्लादेश बार्डर पर लगी थी। बताया जा रहा है कि जवान जब अपने एक अन्य साथी के साथ बाइक से दक्षिण गारो हिल्स में नीलवाग्रे गांव के पास ड्यूटी के लिए जा रहा था।
ड्यूटी पर जाते समय रास्ते में हाथियों के झूंड ने कर दिया हमला
इसी दौरान सुनसान सड़क पर एक हाथियों के झूंड ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें घायल कर दिया। हालांकि विजय कुमार का दोस्त जान बचाने में कामयाब रहा, लेकिन विजय कुमार हिंसक हाथियों के हमले का शिकार हो गए और उनकी मौत हो गई। यह हादसा बुधवार देर शाम को हुआ है।
कांगड़ा के परगोड का रहने वाला था जवान
इस हादसे में कांगड़ा जिला के तहत आते विधानसभा क्षेत्र शाहपुर के अंतर्गत आती ग्राम पंचायत परगोड़ का बीएसएफ जवान विजय कुमार शहीद हो गया। शहीद जवान बीएसएफ में बतौर हवलदार कार्यरत था। शहीद जवान की पहचान विजय कुमार उम्र 41 वर्ष पुत्र सागर सिंह के रूप में हुई है। जवान 2002 में बीएसएफ में भर्ती हुआ था जो मौजूदा समय में मेघालय में तैनात था।
शहीद जवान विजय बीएसएफ में मेघालय में दे रहा था ड्यूटी
शहीद के पिता सागर सिंह बीएसएफ से सूबेदार के पद से रिटायर्ड हुए हैं। शहीद विजय कुमार की माता स्वर्णा देवी एक साधारण गृहिणी हैं। शहीद विजय के घर में उनके माता पिता के अलावा उनकी पत्नी 37 वर्षीय सुलक्षणा और तीन बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी कुमकुम मात्र 15 वर्ष की है। वहीं उससे छोटी बेटी शगुन 12 साल की और सबसे छोटी बेटी सहज मात्र चार साल की है।
20 दिन पहले छुट्टी काट ड्यूटी पर लौटा था जवान
शहीद विजय कुमार अभी 20 दिन पहले ही छुट्टी काटकर वापस ड्यूटी पर गया था। शहीद विजय कुमार के घर में यह समाचार मिलने के बाद इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। परिजन इस बात पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं कि विजय कुमार अब इस दुनियां में नहीं रहा।
वहीं शहीद विजय कुमार का शव मेघालय से हवाई जहाज के माध्यम से दिल्ली पहुंचाया गया है। कल यानी शुक्रवार को शहीद का शव उसके पैतृक गांव पहुंचेगा। जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा।