जसवां-प्रागपुर में सिर्फ चहेतों व माफिया का ही हुआ विकास-संजय पराशर
जसवां-प्रागपुर में सिर्फ चहेतों व माफिया का ही हुआ विकास-संजय पराशर
कहा, विकास के कथित दावे करने वाले बोल रहे कोरा झूठ
डाडासीबा-
जसवां-प्रागपुर से निर्दलीय प्रत्याशी संजय पराशर ने कहा है कि जसवां-प्रागपुर में पिछले पांच वर्षों में सिर्फ चहेतों व माफिया से जुड़े लोगों का ही विकास हुआ। इस दौरान आम जनता उपेक्षा का शिकार रही। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र जमीनी स्तर पर काम न होने से आम जनमानस इस समयावधि में परेशान होता रहा। शुक्रवार को क्षेत्र के की लग, गुरनबाड़ और रोड़ी-कोड़ी पंचायतों में जनसंवाद कार्यक्रमों के दौरान पराशर ने कहा कि विकास के कथित दावे करने वाले आधी-अधूरी जानकारी से कोरा झूठ बोल रहे हैं।
संजय ने कहा कि सवा चार वर्ष तक क्षेत्र को नजरंअदाज करने वाले चुनाव प्रचार के दौरान कूड़ना (सलेटी) में आदर्श विद्यालय का दावा करके आम जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि अभी तक इस विद्यालय के निर्माण में एक नई ईंट तक नहीं लगी है। इतना ही नहीं इस विद्यालय के नाम पर पचास कनाल जमीन देने वाले दानवीर भी अब खुद को हताश व निराश महसूस कर रहे हैं। पराशर ने कहा कि बाथू टिप्परी में जिस आयुष स्वास्थ्य केंद्र को लेकर बातें की जा रही हैं, वह अब भी पुराने भवन में चल रहा है और इस केंद्र में स्टाफ के नाम पर सिर्फ एक कर्मचारी ही नियुक्त है, जबकि आयुर्वेदिक मेडीकल आॅफिसर, एएनएम और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद रिक्त चले हुए हैं। पराशर ने कहा कि गुरालधार व सरड़ डोगरी में वन निरीक्षण कुटीर के भवन आधे-अधूरे हैं। संसारपुर टैरस में बना परिवहन निगम का डिपो नाम का ही डिपो है और वहां पर सुविधाओं की अब भी दरकार बनी हुई है। पराशर ने कहा कि बडाल में लैंड बैंक होने के बावजूद अभी तक कोई उद्योग स्थापित नहीं हो पाया, जबकि सात हजार कनाल जगह बिना किसी उपयोग के पड़ी हुई है। पिछले पांच वर्ष तक इस जमीन को लेकर बैठकों और बातों का ही दौर चलता रहा, लेकिन जमीनी स्तर पर औद्योगिक क्षेत्र को बसाने की कोई पहल नहीं हुई। टैरस के पुराने इंडस्ट्रीयल एरिया के नवनिर्माण के लिए प्रयास किए जा सकते थे, लेकिन यहां भी कागजी दावे हुए। पराशर ने कहा कि खनन व वन माफिया के हौसले पिछले पांच वर्ष में बुलंद रहे। स्वां और ब्यास नदी के तटों का चीरहरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई तो रैल बीट में भी वन्य क्षेत्र में कुल्हाड़ी चलती रही। खैर के पेड़ों को काटकर कुछ लोग रातों-रात अमीर हो गए, लेकिन शिकंजा तब कसने की नौबत आई, जब पानी सिर के ऊपर से लांघ चुका था। संजय ने कहा कि जसवां-प्रागपुर क्षेत्र में विजन के तहत काम करने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में विकास की संरचना को नए सिरे से गढ़ना होगा। कहा कि अगर उन्हें क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलता है तो वह इस क्षेत्र को मॉडल विधानसभा क्षेत्र बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करेंगे। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में वह जसवां-परागपुर की पहचान पूरे प्रदेश में बनाना उनका संकल्प भी है और लक्ष्य भी।