भाजपा के आंतरिक सर्वे मे सीएम जय राम के वजीर कमजोर ,क्या तभी बदले टिकट
शिमला। भाजपा के टिकट आवंटन के बाद बगावत को थामना बड़ी चुनौती बना हुआ है। भाजपा हाईकमान ने प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में टिकट आवंटन के मुद्दे पर बड़ा फेरबदल किया है। चार बार हुए आंतरिक सर्वे को इसका आधार बनाया गया है। सर्वे की रिपोर्टों में जिस भी सीट पर हार की आशंका दिखी, वहां टिकट काटने, नए चेहरे उतारने के अलावा पार्टी प्रत्याशियों को इधर से उधर भी कर दिया गया। कांगड़ा जिले में जारी 13 प्रत्याशियों की सूची में 6 सीटों पर पार्टी ने चेहरे बदल दिए हैं। दो विधायकों की टिकट काट दी। पार्टी के इस बड़े फैसले की जद से वन मंत्री राकेश पठानिया भी अछूते नहीं रह पाए हैं। भाजपा हाईकमान को सर्वे रिपोर्ट से पता चला कि अगर वन मंत्री राकेश पठानिया को नूरपुर से टिकट दी और भाजपा नेता रणवीर निक्का भी आजाद चुुनाव लड़े तो सीट हाथ से चली जाएगी। इसलिए, रणनीति बनाई गई कि अगर नूरपुर से निक्का और फतेहपुर से राकेश पठानिया को टिकट दी जाए। टिकट झटकने में रीता धीमान और सरवीण चौधरी को महिला प्रत्याशी होने का फायदा मिल गया। जवाली में सर्वे रिपोर्ट और पिछले चुनाव में पार्टी की बात मानने का फायदा संजय गुलेरिया को मिला। सर्वे में अच्छी रिपोर्ट और संघ से बेहतर रिश्तों के बूते जसवां प्रागपुर में उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर टिकट ले आए। जयसिंहपुर में रविंद्र धीमान, सुलह में विपिन परमार ने टिकट झटककर विरोधियों का मुंह बंद कर दिया। कांगड़ा में हाईकमान की पसंद पवन काजल भारी विरोध के बावजूद टिकट ले आए। पालमपुर में त्रिलोक कपूर गद्दी कार्ड और नड्डा की नजदीकियों का फायदा उठाकर टिकट लेने में कामयाब रहे। पार्टी के लिए बगावत थामना बड़ी चुनौती टिकट आवंटन के बाद कांगड़ा जिले में भाजपा बगावत के सुर बुलंद हो उठे हैं। टिकट कटने से नाराज विधायक अर्जुन सिंह और विशाल नैहरिया के समर्थकों ने पार्टी के निर्णय का खुलकर विरोध किया। बैजनाथ में भी मुल्खराज प्रेमी के विरोध में मंत्रणा हुई। देहरा में भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने बगावत के सुर दिखाए। नूरपुर, इंदौरा, कांगड़ा, शाहपुर और पालमपुर में भी अंदरखाते प्रत्याशियों के खिलाफ विरोध शुरू हो गया। फतेहपुर की 14 पंचायतों में राकेश पठानिया के प्रभाव भी इसकी वजह रहा। इससे इतर आपसी गुटबाजी की वजह से कई चुनाव से भाजपा फतेहपुर सीट को हार रही है। राजन सुशांत के बाद बलदेव ठाकुर दो बार और कृपाल परमार भी एक बार पार्टी की टिकट पर चुनाव हार गए। इसलिए राकेश पठानिया को तुरुप के इक्के के तौर पर फतेहपुर में भेजा गया। निक्का ने भी 2017 के चुनाव में पार्टी की बात मानकर चुनाव नहीं लड़ा था जिसका इस बार उन्हें इनाम दे दिया गया। धर्मशाला और जवाली के मौजूदा विधायकों के पक्ष में भी भाजपा के सर्वे की रिपोर्ट ठीक नहीं आई इसलिए उनके टिकट काट दिए गए। धर्मशाला से भाजपा ने ओबीसी कार्ड खेलने की कोशिश की। कई दशक से धर्मशाला में ओबीसी वर्ग को टिकट नहीं मिला था। इसलिए आम आदमी पार्टी से आए राकेश चौधरी को टिकट मिल गया।