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शिमला डेवलपमेंट प्लान मान्य नहीं…… एनजीटी

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शिमला। शिमला डेवलपमेंट प्लान को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध करार दिया है। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि अवैध डेवलपमेंट प्लान को लागू नहीं किया जा सकता। ट्रिब्यूनल की चार सदस्यीय पीठ ने योगेंद्र मोहन सेन गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया। पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जब ट्रिब्यूनल ने एक बार इस मामले में फैसला सुना दिया है तो उस स्थिति में मामले को दोबारा से जांचने और परखने की जरूरत नहीं है। इस मामले में ट्रिब्यूनल की राय अंतिम है, जब तक कि इसमें कोर्ट की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाता है। डेवलपमेंट प्लान को अवैध करार देते हुए ट्रिब्यूनल ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कोर, हरित क्षेत्रों में भवनों मंजिलों की संख्या और निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया है। ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के ही निर्णय पर आधारित है। गौरतलब है कि शिमला शहर और प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण के नियमों में राहत देने के लिए सरकार ने सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार किया था। विधि विभाग इसकी अधिसूचना जारी करने वाला था कि इससे पहले ही एनजीटी ने इस प्लान पर रोक लगा दी थी। शिमला डेवलपमेंट प्लान पर ट्रिब्यूनल के स्थगन आदेशों को राज्य सरकार ने प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट ने योगेंद्र मोहन सेन गुप्ता से जवाब तालाब किया है। राज्य सरकार ने दलील दी है कि डेवलपमेंट प्लान को स्थगित करना एनजीटी के क्षेत्राधिकार से बाहर है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 19 अक्तूबर को निर्धारित की है।

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