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भाजपा के लिए हर्ष महाजन साबित होंगे तुरुप का पत्ता, महाजन के संपर्क में कांग्रेस का एक धड़ा        

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शिमला(विमल शर्मा)

भाजपा के लिए हर्ष महाजन साबित होंगे तुरुप का पत्ता, महाजन के संपर्क में कांग्रेस का एक धड़ा.             

कांग्रेस 40 सीटों तक सिमटी तब होगा बड़ा खेला                                                                               

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के फाइनल मैच मुकाबले के परिणाम दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती बने हुए हैं प्रदेश भर में परिणामों के आकलन को लेकर चर्चा जोरों पर है कि कौन सी पार्टी बाजी मारेगी बहराल जो भी है इन चुनावों में हुए भारी मतदान को लेकर राजनीतिक गलियारों में सरकार के गठन को लेकर जोड़-तोड़ अंदर खाते चरम सीमा पर है माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस पार्टी  35 से 40 सीटों तक सिमट जाती है और भाजपा 28 सीटों पर रहती है तो कांग्रेस से भाजपा में गए नेता हर्ष महाजन तुरुप का पत्ता हो सकते हैं क्योंकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है हर्ष महाजन के भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस के कई विधायक उनके संपर्क में आए थे और उनसे चर्चा भी हुई थी इन सभी समीकरणों के बाद हर्ष महाजन बिना किसी को बताए दिल्ली के लिए रवाना हो गए और भाजपा में शामिल हो गए उधर भाजपा ने भी महाजन को हाथों-हाथ लिया और महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उनको खुले तौर पर फील्ड में उतार दिया अब सवाल ये उठता है अगर भाजपा 30 सीटों तक भी पहुंचती है तो कांग्रेसका एक बड़ा धड़ा जो मुख्यमंत्री की रेस में है वह भाजपा से हाथ मिला सकता है राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की कांग्रेसमें मुख्यमंत्री पद को लेकर मुख्य तौर पर जो दो धड़े जिसमें पार्टी अध्यक्ष सांसद प्रतिभा सिंह और चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू एक विशेष और रणनीति के तहत कुर्सी की जद्दोजहद में लगे हैं राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि सरकार बनाने के लिए सांसद प्रतिभा सिंह का धड़ा दिल्ली आलाकमान के पास राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि सरकार बनाने के लिए सांसद प्रतिभा सिंह का धड़ा दिल्ली आलाकमान के पास जाने का विकल्प त्याग देगी और वह पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह की रणनीति के तहत हॉली लॉज में ही अपने विधायकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करेगी और सुखविंदर सिंह सुक्खू पूर्व की तरह दिल्ली में जाकर अपना दमखम दिखाएंगे राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं अगर दोनों धड़े दिल्ली में रहते हैं तो सीधे-सीधे तौर पर कांग्रेश आलाकमान के फैसलों को ही स्वीकार करना पड़ेगा और उनके हिसाब से सरकार का गठन संपन्न करवाया जाएगा जबकि सुखविंदर सिंह सुक्खू यही चाहते हैं कि दिल्ली में ही सरकार की रणनीति तय हो यह भी सूचना है कि हर्ष महाजन इन दिनों शिमला में आगामी सरकार के गठन की रणनीति को लेकर विधायकों के संपर्क में है अगर स्थिति ऐसी बनती है तो इनकी भूमिका अहम मानी जाएगी और भाजपा का लोटस ऑपरेशन को किसी भी हालत में पूरा किया जा सकता है जैसा कि मुंबई में भाजपा आलाकमान ने शिवसेना के बागियों के सहयोग से सरकार का गठन किया और यह भी संदेश दिया की राजनीति में गठजोड़ किस सीमा तक हो सकता है और कौन सी पार्टी जनता के हित में इस तरह के फैसले ले सकती हैं बहरहाल जो भी है हिमाचल प्रदेश मैं हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम आने तक अटकलों का बाजार गर्म है और राजनीतिक पार्टियां और निजी स्तर पर आकलन करने बाली संस्थाएं एक एक सीट पर अपना आकलन कर रही है और सरकारी बना रही है अब देखना है कि चुनावों से पहले खामोश हुई जनता अपना जनादेश किसे देती है और सरकार का रिवाज बदलती है या बदलाव करती है

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