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हिमाचल सरकार ने ड्रग्स की समस्या को समाप्त करने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई : मुख्यमंत्री

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शिमला। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज चंडीगढ़ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मादक द्रव्यों की तस्करी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर आयोजित सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार मादक द्रव्यों की तस्करी और नशे जैसी सामाजिक बुराई के समूल नाश के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि नशे के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति के अंतर्गत मादक द्रव्यों के उद्गम स्थल से लेकर नशीले पदार्थों के गंतव्य बिंदु तक के नेटवर्क को समाप्त करने के उद्देश्य से मादक द्रव्यों के उत्पादक और आपूर्तिकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत प्रदेश स्तर पर राज्य मादक द्रव्य अपराध नियंत्रण इकाई स्थापित की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नशे के विरुद्ध तकनीक का समुचित उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 में टोल फ्री नशा निवारण हेल्पलाइन नम्बर 1908 आरंभ की गई है। इस हेल्पलाइन का मुख्य उद्देश्य आम जन को मादक पदार्थों के तस्करों की जानकारी साझा करने की दिशा में प्रोत्साहित करना और नशा पीड़ितों एवं उनके अभिभावकों को व्यसन मुक्ति के संदर्भ में परामर्श प्रदान करना है। इस हेल्पलाइन पर मादक द्रव्यों के संबंध में जानकारी देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में ही एक मोबाइल ऐप ड्रग फ्री हिमाचल भी आरंभ की है। उन्होंने कहा की इस एप पर लोग अपनी पहचान बताए बिना मादक पदार्थों की तस्करी, बिक्री और उपयोग की सूचना पुलिस विभाग को प्रदान कर सकते हैं। इस ऐप को 42000 नागरिकों द्वारा डाउनलोड किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस एप पर अभी तक नशे के विरुद्ध 2194 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। इन सूचनाओं के आधार पर नशा तस्करों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मादक पदार्थ रोकथाम नीति के तहत नशा उत्पादन, तस्करी एवं सेवन इत्यादि की रोकथाम के लिए पुनर्वास, व्यसन मुक्ति और वैकल्पिक विकास कार्यक्रम की दिशा में विस्तृत नीति बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नशे के विरुद्ध विभिन्न विभागों के मध्य बेहतर समन्वय स्थापित करने, जन जन को इस दिशा में जागरूक बनाने तथा हितधारकों को प्रशिक्षित करने के लिए नशा निवारण बोर्ड भी गठित किया गया है। राज्य में विशेष जागरूकता शिविर आयोजित करने के साथ साथ थाना स्तर पर नशा निवारण समितियां गठित की गई हैं। गत चार वर्षों में इन समितियों द्वारा लगभग 10 लाख लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के विषय में जागरूक किया जा चुका है।

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