साल कुछ नहीं किया, चुनाव आए तो शिलान्यास कर जनता को कर रहे गुमराह: चौधरी

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  • प्रशासक की नियुक्ति न होने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

विमल शर्मा, शिमला।

जिला कांग्रेस कमेटी (शिमला शहरी) के अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी ने प्रदेश की जयराम सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। चौधरी ने कहा कि नगर निगम शिमला का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। सरकार नगर निगम के समय पर चुनाव करवाने में नाकामयाब रही है। उन्होंने कहा कि 5 साल के कार्यकाल में महापौर और पाषर्दों में आपसी खींचतान चली रही। भाजपा पाषर्द दो धड़ों में बंटे रहे जिससे शहर में विकास कार्य ही नहीं हो पाए। शहरी विकास मंत्री जो शिमला के विधायक हैं उन्होंने भी शहर के विकास कार्य करवाने में कोई रूची नहीं दिखाई। अब जब नगर निगम के चुनाव सिर पर है तब उन्हें शहर की याद आई। अब वह वार्डों में जाकर शिलान्यास कर जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। जितेंद्र चौधरी ने कहा कि पांचवा साल शिलान्यास का नहीं बल्कि उद्वघाटनों का होता है। पांच साल क्या काम किया इसका रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखना होता है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पांच साल तक मंत्री व पाषर्द मौज करते रहे। अब चुनाव आते लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिमला में लोगों को 5 से 6 दिन बाद पानी मिल रहा है। पानी के स्थायी समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। ट्रैफिक जाम में लोगों को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ता है। घंटों ट्रैफिक जाम में लोग फंसे रहते हैं। स्कूल के बच्चें इस ट्रैफिक जाम से रोजाना स्कूल पहुंचने के लिए लेट हाेते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार केवल मौज मस्ती में लगी हुई है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मिले करोड़ों के बजट का सही तरह से इस्तेमाल नहीं हुआ। केवल डंगे लगाने पर ही बजट खर्च दिया गया। उन्होंने कहा कि शहर की जनता अब भाजपा के बहकावे में नहीं आने वाली है। चुनावों में सरकार को इसका पूरा सबक सिखाएगी।

जितेंद्र चौधरी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि आखिर क्या वजह है कि सरकार प्रशासक की नियुक्ति नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि निगम का कार्यकाल पूरा हो चुका है। अब महापौर और पाषर्दों के पास शक्तियां नहीं रह गई है। ऐसे में पूरी कमान प्रशासक के हाथों में होनी चाहिए। लेकिन सरकार प्रशासक की नियुक्ति नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को छोटे मोटे कामों के लिए अब दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, ये काम पहले पाषर्द ही करते थे।

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