सरकार की नाकामी से बर्बाद हो रहे सेब बागवान, सेब कंपनियां कर रही मनमानी : नरेश चौहान
सरकार की नाकामी से बर्बाद हो रहे सेब बागवान, सेब कंपनियां कर रही मनमानी : नरेश चौहान
मनमाने तरीके से सेब के दाम तय करने के साथ ही मनमर्जी से बंद कर रही हैं सीए स्टोर
शिमला। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख और प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि जयराम सरकार की नाकामी से हिमाचल में सेब बागवान बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने पहले मनमाने तरीके से सेब के दाम तय किए और फिर उनको भी कम किया। उन्होंने कहा कि सरकार को समय रहते सेब के दाम तय करने थे, लेकिन सरकार कमेटियों का ही गठन करती रही है। ग्राउंड पर बागवानों की समस्या के समाधान के लिए कुछ नहीं किया। सरकार के ढुलमुल रवैये से सेब कंपनियां मनमानी दामों पर सेब खरीद रही हैं और जब चाहे तब सीए स्टोर बंद कर रही हैं ताकि बागवानों को परेशान किया जा सके। हालात यह है कि आज सेब कंपनियों के स्टोरों के बाहर बागवानों की गाड़ियों की लाइनें लगी हुई हैं। कई बागवानों का सेब बागीचों में ही खराब होने लगा है।
नरेश चौहान ने कहा कि सेब बागवान लंबे समय से सेब के दाम तय करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे हुए बैठी हैं। सरकार के रवैये से अब अदानी की कंपनी सेब के दाम खुद तय कर रही है। इससे किसानों और बागवानों को उनकी फसलों के मनमाने दाम दिए जा रहे हैं। नतीजन फल मंडियों में भी सेब के दाम गिर गए हैं। पहले फल मंडियों में जो सेब 2200 से 2500 रुपए प्रति पेटी बिक रहा था, वो मुश्किल से 1200 से 1500 रुपए पेटी बिक रहा है।
नरेश चौहान ने इसके लिए जयराम सरकार जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार सेब खरीदने वाली कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाने और सेब के उचित दाम तय करने की मांग लगातार कर रही है। लेकिन सरकार को सेब बागवानों की कोई चिंता नहीं है। किसान बागवान विरोधी जयराम सरकार ने सेब के पैकेजिंग मटेरियल कर्टन, ट्रे आदि पर जीएसटी लगाकर बागवानों की कमर तोड़ी है। इससे पहले सरकार ने पेस्टीसाइड और खाद पर सब्सिडी बंद कर दी। जिसका परिणाम यह हुआ कि बागवानों की उत्पादन लागत कई गुणा हो गई। वहीं महंगाई की मार से परेशान बागवानों को अब सेब के सही दाम भी नहीं मिल रहे हैं। जबकि प्रदेश के लाखों लोगों की अजीविका का साधन सेब है। बागवानों के साथ आढ़ती, लदानी, ट्रांसपोर्टर, मजदूर के साथ-साथ दवा और खाद व्यापार से जुड़े लाखों लोगों को रोजगार मिलता। अगर सरकार ने सही समय में कांग्रेस द्वारा बागवानों के उठाए मुद्दों पर ध्यान दिया होता तो आज यह हालत नहीं होती। उन्होंने कहा कि बागवानों को हो रहे करोड़ों के नुकसान की जिम्मेवार जयराम सरकार है, जिसका बागवान विरोधी चेहरा जनता के सामने आ गया
मनमाने तरीके से सेब के दाम तय करने के साथ ही मनमर्जी से बंद कर रही हैं सीए स्टोर
शिमला। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख और प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि जयराम सरकार की नाकामी से हिमाचल में सेब बागवान बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने पहले मनमाने तरीके से सेब के दाम तय किए और फिर उनको भी कम किया। उन्होंने कहा कि सरकार को समय रहते सेब के दाम तय करने थे, लेकिन सरकार कमेटियों का ही गठन करती रही है। ग्राउंड पर बागवानों की समस्या के समाधान के लिए कुछ नहीं किया। सरकार के ढुलमुल रवैये से सेब कंपनियां मनमानी दामों पर सेब खरीद रही हैं और जब चाहे तब सीए स्टोर बंद कर रही हैं ताकि बागवानों को परेशान किया जा सके। हालात यह है कि आज सेब कंपनियों के स्टोरों के बाहर बागवानों की गाड़ियों की लाइनें लगी हुई हैं। कई बागवानों का सेब बागीचों में ही खराब होने लगा है।
नरेश चौहान ने कहा कि सेब बागवान लंबे समय से सेब के दाम तय करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे हुए बैठी हैं। सरकार के रवैये से अब अदानी की कंपनी सेब के दाम खुद तय कर रही है। इससे किसानों और बागवानों को उनकी फसलों के मनमाने दाम दिए जा रहे हैं। नतीजन फल मंडियों में भी सेब के दाम गिर गए हैं। पहले फल मंडियों में जो सेब 2200 से 2500 रुपए प्रति पेटी बिक रहा था, वो मुश्किल से 1200 से 1500 रुपए पेटी बिक रहा है।
नरेश चौहान ने इसके लिए जयराम सरकार जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार सेब खरीदने वाली कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाने और सेब के उचित दाम तय करने की मांग लगातार कर रही है। लेकिन सरकार को सेब बागवानों की कोई चिंता नहीं है। किसान बागवान विरोधी जयराम सरकार ने सेब के पैकेजिंग मटेरियल कर्टन, ट्रे आदि पर जीएसटी लगाकर बागवानों की कमर तोड़ी है। इससे पहले सरकार ने पेस्टीसाइड और खाद पर सब्सिडी बंद कर दी। जिसका परिणाम यह हुआ कि बागवानों की उत्पादन लागत कई गुणा हो गई। वहीं महंगाई की मार से परेशान बागवानों को अब सेब के सही दाम भी नहीं मिल रहे हैं। जबकि प्रदेश के लाखों लोगों की अजीविका का साधन सेब है। बागवानों के साथ आढ़ती, लदानी, ट्रांसपोर्टर, मजदूर के साथ-साथ दवा और खाद व्यापार से जुड़े लाखों लोगों को रोजगार मिलता। अगर सरकार ने सही समय में कांग्रेस द्वारा बागवानों के उठाए मुद्दों पर ध्यान दिया होता तो आज यह हालत नहीं होती। उन्होंने कहा कि बागवानों को हो रहे करोड़ों के नुकसान की जिम्मेवार जयराम सरकार है, जिसका बागवान विरोधी चेहरा जनता के सामने आ गया