स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत विषय पर संगोष्ठी आयोजित
स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत विषय पर संगोष्ठी आयोजित
पब्लिक रिलेशन्ज़ सोसायटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) के शिमला चैप्टर तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग ने आज यहां संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव ‘स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाआंे का अमृत’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया।
इस अवसर पर विख्यात लेखिका एवं सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. उषा बांदे ने कहा कि भारत को स्वतंत्र करवाने में स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता है। उनके बलिदानों के परिणामस्वरूप ही आज राष्ट्र विश्व पटल पर अग्रणी देश बनकर उभरा है। उन्होंने अपने शोध पत्र के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को साझा करते हुए विभिन्न लेखकों द्वारा महात्मा गांधी पर लिखी गई किताबों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि इन लेखकों की रचनाओं में बेशक महात्मा गांधी नहीं हैं, लेकिन उनकी विचारधारा सभी जगह व्याप्त है जो लोगों में देशभक्ति और देशप्रेम की भावना जागृत करती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न भाषाओं के साहित्य में गांधी जी के सिद्धांतों को प्रमुखता प्रदान की गई है। उन्होंने नैन तारा सहगल, मुल्ख राज आनंद, भवानी भट्टाचार्य, आर.के. नारायणन, अरविंद अडिगा द्वारा गांधी जी की विचारधारा पर लिखी गई पुस्तकों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचार और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। साहित्य ने समय के साथ-साथ समाज में आए परिवर्तनों को भी दर्शाया है। गांधी जी भारतीय दर्शन और साहित्य में रचे-बसे हैं और इतिहास, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी के प्रयासों के कारण ही देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई हैं और वर्तमान में इस भावना को पोषित करने की आवश्यकता है।
सूचना एवं जन संपर्क विभाग के पूर्व निदेशक एवं पी.आर.एस.आई के शिमला चैप्टर के संस्थापक बी.डी. शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पब्लिक रिलेशन्ज़ सोसायटी ऑफ इंडिया के कुल 25 चैप्टर हैं और शिमला चैप्टर भी इनमें से एक है। उन्होंने अमृत महोत्सव जो पत्रकारिता का अमृत काल भी है, पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि इस दौरान मीडिया कर्मियों की देश के राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता काल में समाचार पत्र-पत्रिकाओं ने देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन के बारे में लिख कर देशवासियों में देशभक्ति की भावना जागृत की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मीडिया की भूमिका बदल गई है। आज के समय में समाचार पत्रों में सत्यता की कमी चिंता का विषय है। एक समय में पत्रकारिता को मिशन के रूप में अपनाया जाता था लेकिन आज पत्रकारिता एक व्यवसाय बनकर रह गई है। उन्होंने नवोदित पत्रकारों से आह्वान किया कि पत्रकारिता की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ें।
उन्होंने उपस्थित सभी सहकर्मियों और छात्रों से आह्वान किया कि उन्हें पत्रकारिता के विकास के लिए आगे आने की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे देश व प्रदेश का भविष्य हैं और हमारी आशाएं एवं अपेक्षाएं उनसे बंधी हैं।
सूचना एवं जन संपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक तथा पीआरएसआई शिमला चैप्टर के अध्यक्ष प्रदीप कंवर ने सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि पीआरएसआई का शिमला चैप्टर जन संपर्क के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। यह चैप्टर राष्ट्रीय एवं सामाजिक हित के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहा है।
कार्यक्रम से पूर्व, पत्रकारिता के गुरु वेपा राव को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के लोक संपर्क अधिकारी तथा पीआरएसआई शिमला चैप्टर के महासचिव डॉ. रणवीर वर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इससे पूर्व, छात्रों के लिए परिचर्चा सत्र भी आयोजित किया गया।
सूचना एवं जन संपर्क विभाग की अतिरिक्त निदेशक आरती गुप्ता, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रो. डॉ. विकास डोगरा, डॉ. शशिकांत शर्मा और सहायक प्राचार्य डॉ. अजय कुमार तथा पीआरएसआई शिमला चैप्टर के अन्य सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर विख्यात लेखिका एवं सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. उषा बांदे ने कहा कि भारत को स्वतंत्र करवाने में स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता है। उनके बलिदानों के परिणामस्वरूप ही आज राष्ट्र विश्व पटल पर अग्रणी देश बनकर उभरा है। उन्होंने अपने शोध पत्र के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को साझा करते हुए विभिन्न लेखकों द्वारा महात्मा गांधी पर लिखी गई किताबों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि इन लेखकों की रचनाओं में बेशक महात्मा गांधी नहीं हैं, लेकिन उनकी विचारधारा सभी जगह व्याप्त है जो लोगों में देशभक्ति और देशप्रेम की भावना जागृत करती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न भाषाओं के साहित्य में गांधी जी के सिद्धांतों को प्रमुखता प्रदान की गई है। उन्होंने नैन तारा सहगल, मुल्ख राज आनंद, भवानी भट्टाचार्य, आर.के. नारायणन, अरविंद अडिगा द्वारा गांधी जी की विचारधारा पर लिखी गई पुस्तकों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचार और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। साहित्य ने समय के साथ-साथ समाज में आए परिवर्तनों को भी दर्शाया है। गांधी जी भारतीय दर्शन और साहित्य में रचे-बसे हैं और इतिहास, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी के प्रयासों के कारण ही देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई हैं और वर्तमान में इस भावना को पोषित करने की आवश्यकता है।
सूचना एवं जन संपर्क विभाग के पूर्व निदेशक एवं पी.आर.एस.आई के शिमला चैप्टर के संस्थापक बी.डी. शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पब्लिक रिलेशन्ज़ सोसायटी ऑफ इंडिया के कुल 25 चैप्टर हैं और शिमला चैप्टर भी इनमें से एक है। उन्होंने अमृत महोत्सव जो पत्रकारिता का अमृत काल भी है, पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि इस दौरान मीडिया कर्मियों की देश के राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता काल में समाचार पत्र-पत्रिकाओं ने देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन के बारे में लिख कर देशवासियों में देशभक्ति की भावना जागृत की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मीडिया की भूमिका बदल गई है। आज के समय में समाचार पत्रों में सत्यता की कमी चिंता का विषय है। एक समय में पत्रकारिता को मिशन के रूप में अपनाया जाता था लेकिन आज पत्रकारिता एक व्यवसाय बनकर रह गई है। उन्होंने नवोदित पत्रकारों से आह्वान किया कि पत्रकारिता की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ें।
उन्होंने उपस्थित सभी सहकर्मियों और छात्रों से आह्वान किया कि उन्हें पत्रकारिता के विकास के लिए आगे आने की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे देश व प्रदेश का भविष्य हैं और हमारी आशाएं एवं अपेक्षाएं उनसे बंधी हैं।
सूचना एवं जन संपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक तथा पीआरएसआई शिमला चैप्टर के अध्यक्ष प्रदीप कंवर ने सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि पीआरएसआई का शिमला चैप्टर जन संपर्क के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। यह चैप्टर राष्ट्रीय एवं सामाजिक हित के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहा है।
कार्यक्रम से पूर्व, पत्रकारिता के गुरु वेपा राव को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के लोक संपर्क अधिकारी तथा पीआरएसआई शिमला चैप्टर के महासचिव डॉ. रणवीर वर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इससे पूर्व, छात्रों के लिए परिचर्चा सत्र भी आयोजित किया गया।
सूचना एवं जन संपर्क विभाग की अतिरिक्त निदेशक आरती गुप्ता, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रो. डॉ. विकास डोगरा, डॉ. शशिकांत शर्मा और सहायक प्राचार्य डॉ. अजय कुमार तथा पीआरएसआई शिमला चैप्टर के अन्य सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।