Advertisement Section
Header AD Image

राज्य सरकार के प्रयासों से हिमाचल में ‘नीली क्रांति’ का हो रहा आगाज़….

Spread the love

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सृदृढ़ीकरण के लिए मत्स्य पालन को प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। हिमाचल की समृद्ध नदियां अपार जल सम्पदा से सम्पन्न हैं। हिमाचल प्रदेश में मत्स्य पालन क्षेत्र में अपार संभावनाओं के दृष्टिगत इससे लोगों की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सकता है। इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार, मत्स्य पालन में नवीनतम तकनीकों का समोवश कर राज्य में ‘नीली क्रांति’ लाने के लिए प्रयासरत है।
सरकार का उद्देश्य मत्स्य पालन को व्यावसायिक स्तर पर बढ़ावा प्रदान करना है ताकि ग्रामीण आर्थिकी को संबल प्रदान किया जा सके। मुख्य रूप से प्रदेश के गोविंद सागर, पौंग, चमेरा, रणजीत सागर और कोलडैम क्षेत्र में व्यावसायिक स्तर पर मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्राउट मछली उत्पादन की अच्छी सम्भावनाएं हैं। प्रदेश में ट्राउट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस वित्त वर्ष 120 ट्राउट इकाइयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत 106 ट्राउट इकाइयों के निर्माण के लिए कुल 202.838 लाख रुपये की राशि विभिन्न मण्डलों को प्रदान की जा चुकी है। इस योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए ज़िला और मण्डल स्तर पर लाभार्थियों के चयन तथा उपदान राशि प्रदान करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।
मत्स्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयां प्रदान करने के लिए प्रदेश में दो ट्राउट हैचरी निर्मित करने के लिए 60 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जा चुकी है। मछली पालन की आधुनिकतम तकनीकों में से एक बायोफ्लॉक को भी प्रदेश में बढ़ावा दिया  जा रहा है। पर्यावरणीय अनुकूल यह तकनीक प्रदेश में ‘नीली क्रांति’ का मार्ग प्रशस्त करेगी। मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रदेश में पांच लघु बायोफ्लॉक इकाइयां निर्मित की जाएंगी। इसके लिए विभिन्न मण्डलों को 19.50 लाख रुपये की राशि प्रदान की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में तीन मत्स्य आहार संयंत्र स्थापित करने के लिए 42 लाख रुपये की राशि विभिन्न मण्डलों को प्रदान की जा चुकी है।  मत्स्य पालकों और उद्यमियों को प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाया जाता है। इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए जिला ऊना के कार्प फार्म गगरेट में 5 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया जाएगा। इसमें प्रदेश के 600 मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
प्रदेश में इस क्षेत्र की आवश्यक अधोसंरचना तैयार करने के लिए सरकार प्रयासरत है। मछलियों को लम्बे समय तक संरक्षित रखने के लिए प्रदेश में 48 लाख रुपये की लागत से एक बर्फ के कारखाने का भी निर्माण किया जाएगा।अवसर प्रदान किए जा चुके हैं।
प्रदेश में मछली उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 16015.81 मीट्रिक टन और वर्ष 2022-23 में 17026.09 मीट्रिक टन मछली उत्पादन किया गया। गोविंद सागर जलाशय में वर्ष 2022-23 में 182.85 मीट्रिक टन तथा पौंग बांध में 313.65 मीट्रिक टन मछली उत्पादन किया गया।
मत्स्य पालन क्षेत्र किसानों की आय का एक अतिरिक्त स्त्रोत बनकर उनकी आर्थिकी सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हो रहा है। यह क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आजीविका कमाने का जरिया भी बना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post आबकारी विभाग की अवैध शराब के कारोबार पर बड़ी कार्रवाई-750 पेटी शराब जब्त…..
Next post हिमाचल प्रदेश/ कुल्लू में फिर तबाही की बारिश, काइस गांव में बादल फटने से कई गाडिय़ां बहीं, एक की मौत…..
Close