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सुक्खू का तजुर्बा संगठन और सरकार मैं बैठ पाएगा फिट

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कांग्रेसी राजनीति का इतिहास पंजाब गवाह और राजस्थान मैं नेताओं की आपसी आजमाइश.          शिमला विमल शर्मा         

किसी भी संगठन या संघ से एक अच्छा नेतृत्व तो पैदा  हो सकता है लेकिन वह एक अच्छा शासक साबित हो यह अपने आप में सवाल है ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश की नवनियुक्त सरकार को लेकर हो रहा है मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास भले ही संगठन का नेतृत्व करने का तजुर्बा हो लेकिन सरकार इस तजुर्बे के दायरे में चल पड़ेगी इसको लेकर कांग्रेस विचारधारा के लोग चर्चा करने लगे हैं कहा जा रहा है कि कांग्रेस का इतिहास उठाकर देख लो जितने भी कांग्रेस पार्टी के संगठन मैं रहे हो या पार्टी अध्यक्ष बने उनमें से इक्का-दुक्का लोग ही कांग्रेस सरकारों में मुख्यमंत्री पद पर कामयाब हो सके चाहे हिमाचल प्रदेश के निर्माता कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार हो या फिर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हो या फिर ठाकुर रामलाल हो यह सभी बड़े नेता लोगों की पसंद के चलते और उनके रुतबे को देखते हुए विधानसभा और संसद तक पहुंचे यही हाल पूर्व की भाजपा सरकार में भी सामने आया संगठन से आए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर संघ और गैर संघ भाजपा नेताओं के चक्कर में फस के रह गए भले ही उन्होंने लाख कोशिश की वह अपनी सरकार नहीं बचा पाए जबकि उनके साथ केंद्रीय नेतृत्व में भी पूरा जोर लगाया लेकिन वह जयराम सरकार को सत्ता में नहीं ला पाए ऐसी ही चर्चा अब कांग्रेस की विचारधारा के लोग करने लगे हैं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आते हैं सरकार को एक संगठन के तौर पर चलाने की झलक पेश की है जबकि सरकार संगठन के सभी विचारधाराओं के लोगों और नेताओं की आपसी रणनीति के तहत चलानी पड़ती है इसमें सभी की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए चाहे वह संगठन में ना रहे हो लेकिन जनता ने उन्हें बताओ और अपना प्रत्याशी चुनकर विधानसभा में भेजा है इसलिए सरकार में उनका भी उतना ही सत्कार होना चाहिए जितना संगठन के नेताओं का होता है हिमाचल की जनता ने सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर अपना भरोसा जताया है और पूरे देश में एक मिसाल कायम की है कि मोदी सरकार के खिलाफ अपना जनमत दिया है इसलिए उनकी इस सरकार के प्रति बहुत ज्यादा अपेक्षा है लोगों का मानना है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू इस परीक्षा में खरे उतरेंगे और सरकार को संगठन के तौर पर ना चला कर सभी विचारधाराओं के नेताओं के साथ तालमेल बनाकर हिमाचल प्रदेश के विकास की नई गाथा लिखेंगे……..

 मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पूर्व सरकार के द्वारा लिए गए कर्ज और कर्मचारियों को दिए जाने वाले डी ए की अदायगी न करने को लेकर बार-बार बयान बाजी कर रहे हैं और सहानुभूति लेने के लिए समय निकाल रहे हैं इसको लेकर भी कर्मचारी कहने लगे हैं कि सरकार इसका समाधान बताएं ताकि उनकी पुरानी पेंशन और डीए की किस्त की अदायगी जल्द हो सके उनका साफ तौर पर कहना है कि पूर्व सरकार की कार्यप्रणाली सही ना होने के चलते हैं हिमाचल में कांग्रेस की सरकार को मौका दिया गया है इसलिए वह अपना समय समस्याओं को बताने में ना लगाएं बल्कि उसे कैसे सफल बनाया जाए उसके बारे में चर्चा होनी चाहिए…..

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लगभग 2 महीने के कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों पर नजर दौड़ाई जाए तो साफ तौर पर पता लग जाएगा कि उन्होंने संगठन के नेताओं को ज्यादातर जी दी और मंत्री पदों पर वही लोग आसीन हुए जिनकी नियुक्तियां आलाकमान के दबाव में करनी पड़ी इस तरह का संदेश जनता में सकारात्मक तौर पर नहीं देखा गया मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू चाहे इस बात को सिरे से खारिज कर दे लेकिन प्रदेश की जनता हिमाचल की राजनीति को बड़ी नजदीकी से देखती है और उन्हें पूरी खबर होती है कि संगठन और सरकार के बीच क्या चल रहा है.       

उधर विपक्ष के नेता वह पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने तो सीधे-सीधे तौर पर कांग्रेश सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर आरोप जड़ दिए हैं कि वह जिस तरह से सरकार चला रहे हैं और फैसले ले रहे हैं उससे नहीं लगता कि सरकार व्यवहारिक तौर पर चल पाएगी चाहे वह सरकार के गलत फैसलों की बात हो फिर संगठन और सरकार में नेताओं की आपसी तालमेल पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं विपक्ष की इस तरह की टिप्पणियां भले ही नई सरकार इसे सामान्य प्रक्रिया समझे लेकिन सवाल तो खड़े होते ही हैं  

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