हाईकोर्ट ने हिमाचल के दैनिक वेतन भोगियों को दी राहत
हाईकोर्ट ने दैनिक वेतन भोगियों के लिए बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने दैनिक वेतन भोगी पर आठ वर्ष पूरे करने पर वर्कचार्ज स्टेटस देने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट द्वारा पारित इस फैसले का लाभ हजारों कर्मचारियों को मिलेगा जिन्हें 8 साल की दिहाड़ीदार सेवा पूरी करने के पश्चात वर्कचार्ज स्टेटस नहीं दिया गया था और वह पुरानी पेंशन का लाभ लेने से वंचित हो गए थे। साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एकल पीठ द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ दायर अपीलों व प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन मामलों पर अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश सबीना की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि कोर्ट के समक्ष आये कर्मचारियों को वित्तीय लाभ याचिका दाखिल करने से 3 वर्ष पूर्व से लागू माने जाएंगे। राज्य सरकार ने इन सेवारत अथवा सेवानिनिवृत कर्मचारियों की मांगों का विरोध करते हुए कहा था कि इन कर्मचारियों ने समय रहते अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाया। राज्य सरकार ओर से यह दलील दी गई है कि कर्मचारियों ने ट्रिब्यूनल के समक्ष वर्क चार्ज स्टेटस देने के लिए मामले देरी से दाखिल किए। सरकार का यह भी कहना था कि 9 या 8 साल की दिहाड़ी दार सेवा के वर्कचार्ज स्टेटस से वंचित किए गए कर्मचारियों को समय से अदालतों के समक्ष अपने अधिकारों की मांग करनी चाहिए थी। कर्मचारियों को एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक वे इन मामलों को देरी से दाखिल नहीं कर सकते थे। देरी से अपनी मांगो को उठाने के लिए कारण दिया जाना अति आवश्यकत था। राज्य सरकार की ओर से बहस पूरी होने के पश्चात प्रार्थियों की ओर से न्यायालय के समक्ष यह दलील दी गई कि उनके मामले प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित राकेश कुमार व अश्विनी कुमार के निर्णय के अंतर्गत आते हैं और यह राज्य सरकार का दायित्व बनता था कि वह समय पर अपने ही नीतिगत फैसले पर ईमानदारी से अमल करते हुए उन्हें नियमित करती। कल्याणकारी सरकार से यह उम्मीद नहीं की जा सकती की वह अपने कर्मचारियों को उनकी मांगों के लिए अदालत में जाने के लिए मजबूर करे। हाईकोर्ट ने भी समय समय पर ऐसे ही मामलों में कर्मचारियों के हक में फैसले सुनाए और राज्य सरकार ने अनेकों कर्मचारियों के पक्ष में हाईकोर्ट के निर्णय को लागू किया। प्रार्थियों ने विभिन्न अदालतों के फैसलों का हवाला देते हुए सरकार की अपीलें खारिज करने की मांग की थी। प्रदेश उच्च न्यायालय ने दैनिक भोगियों की दलीलों से सहमति जताते हुए उपरोक्त आदेश पारित कर दिए। प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी स्पष्ट किया कि विद्युत बोर्ड भी 8 साल के पश्चात दैनिक भोगी को वर्कचार्ज स्टेटस देने के लिए बाध्य है