Advertisement Section
Header AD Image

सामाजिक सौहार्द भारतीय संस्कृति की पहचान: राज्यपाल

Spread the love

सामाजिक सौहार्द भारतीय संस्कृति की पहचान: राज्यपाल

सामाजिक समरसता दिवस पर सेमिनार आयोजित
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि सामाजिक समरसता भारतीय संस्कृति की पहचान है और यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे इसे बनाए रखने में अपना योगदान सुनिश्यित करें।
राज्यपाल आज शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में सामाजिक समरसता दिवस के अवसर पर सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों के देश पर प्रभावी होने को भी सद्भाव की कमी होना बताया। उन्होंने कहा कि अगर देश में सद्भाव होता तो वे हमारी सामाजिक व्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। उन्होंने समरसता और समानता को अलग-अलग विषय बताया और कहा कि संविधान ने हमें समानता का अधिकार दिया है। जबकि सद्भाव की गारंटी किसी ने नहीं ली।
राज्यपाल ने कहा कि सद्भाव की गारंटी समाज को खुद लेनी होगी और इसके लिए समाज में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की तरह सुनील उपाध्याय ने भी अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। उनके विचारों को आगे बढ़ाते हुए विद्यार्थी परिषद के स्वयंसेवक देश में लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में जातिवाद से जुड़ी कुछ घटनाओं पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि हम सभी को इस दिशा में काम करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि सामाजिक गतिविधियों और स्कूली स्तर पर पिछड़े वर्गों के नाम पर ऐसा होना अत्यंत पीड़ादायक है। उन्होंने लोगों से बाबा साहेब अम्बेडकर की जीवनी पढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने बाबा साहेब को हिंदू समाज सुधारक बताया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की इस ताकत का पूरी दुनिया में प्रसार करने की आवश्यकता है। इसके लिए सभी को आगे आना चाहिए और इसे अमल में लाना चाहिए।
इससे पहले, राज्यपाल ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को भी सम्मानित किया।
इस अवसर पर सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर ने कहा कि जिस तरह यशवंत राव केलकर छात्र संगठन की ताकत थे उसी तरह सुनील उपाध्याय हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय विचारधारा लेकर आए। उन्होंने आयोजकों से सुनील उपाध्याय के जीवन पर आधारित एक पुस्तक प्रकाशित करने का आग्रह किया ताकि आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि सुनील उपाध्याय में व्यक्तित्व निर्माण और लोगों को जोड़ने की शक्ति थी। उन्होंने बाबा साहेब के जीवन पर भी प्रकाश डाला और कहा कि उनके लिए राष्ट्र सर्वाेपरि रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक भारत में पूरी तरह से समरसता नहीं होगी तब तक भारत शक्तिशाली और समर्थ नहीं बन पाएगा। उन्होंने इसे व्यवहार में लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने राज्यपाल का स्वागत किया और कहा कि ये ट्रस्ट, सुनील उपाध्याय के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के सचिव प्रो. सुरेंद्र शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर विभिन्न गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post सीबीएफसी की नवनियुक्त सदस्य ने राज्यपाल से भेंट की
Next post आम विधानसभा चुनाव परिणामों के लिए मीडिया केंद्र स्थापित
Close