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MIS की राशि भुगतान पर बाग़वानों का शोषण बन्द करें एचपीएमसी: रोहित ठाकुर

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शिमला। भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों से बाग़वानी की उत्पादन लागत लगातार बढ़ती जा रहीं हैं और दूसरी ओर एचपीएमसी बागवानों की मज़बूरी का फ़ायदा उठाकर MIS के भुगतान के नाम पर खाद, कीटनाशक-फफूंदनाशक और अन्य कृषि उपकरणों को किसानों को अप्रत्याशित दरों पर विक्रय कर शोषण कर रहीं हैं। यह बात जुब्बल-नावर-कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर ने प्रेस को ज़ारी एक ब्यान में कहीं। उन्होंने कहा कि बैमौसमी बर्फ़बारी और ओलावृष्टि से अधिकतर बाग़वानों को भारी नुक़सान उठाना पड़ा जिसके चलते इस वर्ष एचपीएमसी को MIS के तहत ₹69.55 करोड़ रुपए का सेब बेचा गया । रोहित ठाकुर ने कहा कि डबल इंजन की भाजपा सरकार 2022 तक बाग़वानों-किसानों की आय दुगुनी करने का वायदा कर सत्ता में आई थी जबकि गत चार वर्षों में खाद, कीटनाशक-फफूंदनाशक दवाईयों में बढ़ोतरी के साथ-2 अनुदान भी बंद कर दिया हैं। उन्होंने कहा कि बाग़वानी में उपयोग होने वाली कैल्शियम नाइट्रेट जिसका मूल्य गत वर्ष एचपीएमसी ने ₹1145 रुपए प्रति 25 किलोग्राम निर्धारित था उसमें एचपीएमसी इस वर्ष ₹643 रुपए की वृद्धि कर ₹1788 में बेच रही हैं जबकि बाज़ार में यही खाद ₹1150 रुपए में उपलब्ध हैं। 20 लीटर टीएसओ जो कि पिछले साल एचपीएमसी के स्टोर में ₹2180 रुपए में बेचा गया उसमें ₹470 की बढ़ोतरी कर ₹2650 रुपए बाग़वानों से वसूले जा रहें हैं। उन्होंने कहा कि स्प्रे मशीन GX80 को बाज़ार से महँगी दर पर बेचा जा रहा हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि इसी प्रकार एचपीएमसी ने विभिन्न कीटनाशक-फफूंदनाशक दवाइयों में पिछले वर्ष के मुकाबले 5% से 10% प्रतिशत की वृद्वि की हैं। भाजपा सरकार के बाग़वानों के प्रति उदासीन रवैया के चलते बाग़वानी और कृषि लागत मूल्य पर 25 से 30% प्रतिशत वृदि हो गई हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि बाग़वान कठिन आर्थिक परिस्थितियों से जूझ रहा हैं। उन्होंने कहा कि जहां सरकार सस्ती दरों पर किसानो-बाग़वानों को खाद व उपकरण उपलब्ध करवाती हैं वहीं सरकारी उपक्रम एचपीएमसी बाज़ार के मूल्यों से भी अधिक दाम किसानों-बाग़वानों से वसूल रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार MIS की लम्बित राशि को आय का साधन बना कर बाग़वानों का शोषण कर रहीं हैं। रोहित ठाकुर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से एचपीएमसी द्वारा खाद, फफूंदनाशक-कीटनाशक व उपकरणों का विक्रय कर बाग़वानों से मनमाने तरीक़े से की जा रही वसूली पर रोक लगाने के लिए तुरन्त हस्तक्षेप की मांग की हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार को बाग़वानों की MIS के तहत वर्ष 2020 और 2021 की बकाया राशि ज़ारी करने की भी मांग की है।

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