उच्च न्यायालय ने वार्डों के डिलिमिटेशनआदेश पर रोक लगाई रोक, 16 अगस्त को अगली सुनवाई
- दो वार्डों समरहिल व नाभा को लेकर मामला हाईकोर्ट में गया था
शिमला। नगर निगम शिमला के चुनावों को लेकर एक बार फिर पेंच फंस गया है। शिमला नगर निगम के 2 वार्डों के डिलिमिटेशन और आरक्षण रोस्टर को लेकर हाईकोर्ट ने डीसी शिमला व मंडलाआयुक्त से जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए नगर निगम शिमला के चुनाव के लिए मतदाता सूची बनाने का कार्यक्रम जारी किया गया। इसी को लेकर याचिकाकर्ता फ़िर कोर्ट पहुंचे।
अब कोर्ट ने मंगलवार को मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया में रोक लगा दी है और 16 अगस्त को मामले की सुनवाई रखी गई है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन के लिए इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। दो वार्डों समरहिल व नाभा को लेकर मामला हाईकोर्ट में गया था। इससे पांच वार्डों नाभा, समरहिल, बालूगंज, टूटीकंडी और फागली में डिलिमिटेशन का असर पड़ा है। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया राजनीतिक दबाब में आकर हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया जारी करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने को लेकर डीसी शिमला व मंडलाआयुक्त को नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। क्योंकि कोर्ट के आदेशों के बाबजूद डिलिमिटेशन व रोस्टर में बिना बदलाव किए मतदाता सूचियों की प्रक्रिया शुरू कर देना कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। शिमला नगर निगम वार्डों का डिलिमिटेशन कर संख्या 34 वार्डों से बढ़ाकर 41 वार्ड कर दी गई है। मई माह में पुनर्सीमांकन के खिलाफ दो याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।